Tuesday, March 31, 2015

Ex सांसद दादा की MISS INDIA पोती, पहली बार रैंप पर चलीं और जीता खिताब

Ex सांसद दादा की MISS INDIA पोती, पहली बार रैंप पर चलीं और जीता खिताब


कुरुक्षेत्र. मिस इंडिया चुनीं गईं अदिति आर्य बेशक गुड़गांव में रहती हैं, लेकिन उनके परिवार की जड़ें कुरुक्षेत्र में हैं। अदिति के मिस इंडिया चुने जाने पर कुरुक्षेत्र में भी खुशी का माहौल है। उनके पिता देवेंद्र आर्य कुरुक्षेत्र के गांव तंगौर के रहने वाले हैं। यहीं उन्होंने इंजीनियरिंग की। इस समय वे एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत हैं। पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. रामप्रकाश अदिति के दादा लगते हैं।
अदिति आर्य डॉ. रामप्रकाश के भाई वीरूराम आर्य की पोती हैं। वीरुराम सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल थे और यहीं गीता कॉलोनी में कई बरसों तक रहे। बाद में उनका परिवार करनाल और फिर गुड़गांव जाकर बसा। हालांकि अदिति का जन्म चंडीगढ़ में हुआ। उनके मिस इंडिया पर बनने पर डॉ. रामप्रकाश और उनके परिवार को दिनभर बधाइयां मिलने का सिलसिला चला।
बिजनेस वर्ल्ड में कॅरिअर बनाने का सपना
देवेंद्र आर्य कहते हैं कि अदिति का सपना बिजनेस वर्ल्ड में नाम कमाना है। इसीलिए उसने दिल्ली के प्रसिद्ध शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडी से अपनी पढ़ाई की। इस समय वह एक मल्टी नेशनल कंपनी में बतौर रिसर्च एनालिस्ट काम कर रही हैं।
भास्कर से मुंबई से फोन पर बातचीत में देवेंद्र आर्य ने बताया कि अदिति ने पहले कभी मिस वर्ल्ड जैसी प्रतियोगिता का सोचा भी नहीं था। इसके लिए पिछले साल आखिरी समय पर उसने एंट्री ली। पहली बार रैंप पर चली और अपनी प्रतिभा के दम पर आज वह मिस इंडिया बन चुकी हैं। अब वह मिस वर्ल्ड का अपना सपना साकार करेगी। उसका कुछ समय पहले ही प्रतिष्ठित आईएसबी हैदराबाद में यंग एडिटर के रूप में चयन भी हुआ है।
प्रदेश का बढ़ाया है मान
पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. रामप्रकाश कहते हैं कि अदिति ने परिवार ही नहीं, प्रदेश का भी मान बढ़ाया है। बेटियां किसी से कम नहीं होती। अदिति काफी समझदार है, उन्हें उम्मीद है कि वह मिस वर्ल्ड का खिताब जीतकर एक दिन देश का नाम रोशन करेगी।
गर्व है दो बेटियों का पिता हूं
मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर देवेंद्र आर्य कहते हैं कि उन्हें इस बात का गर्व है कि वे दो बेटियों के पिता हैं। अदिति से छोटी बहन दीया आर्या है। दीया इस समय 11वीं में पढ़ रही है। मां पूनम आर्य कहती हैं कि अदिति शुरू से ही मेधावी रही है। उन्हें खुशी है कि उनकी बेटी मिस इंडिया बनी है
आखिरी समय में ली थी एंट्री, पहली बार रैंप पर चलीं और बनी MISS INDIA
आखिरी समय में ली थी एंट्री, पहली बार रैंप पर चलीं और बनी MISS INDIAआखिरी समय में ली थी एंट्री, पहली बार रैंप पर चलीं और बनी MISS INDIA
आखिरी समय में ली थी एंट्री, पहली बार रैंप पर चलीं और बनी MISS INDIAआखिरी समय में ली थी एंट्री, पहली बार रैंप पर चलीं और बनी MISS INDIA

Thursday, March 26, 2015

भारत हारा तो याद आए ये 5 खिलाड़ी, काश रहते युवी तो हम खेलते फाइनल

भारत हारा तो याद आए ये 5 खिलाड़ी, काश रहते युवी तो हम खेलते फाइनल
खेल डेस्क. सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारकर टीम इंडिया वर्ल्ड कप से बाहर हो चुकी है। इसके साथ ही टीम के के कुछ पुराने खिलाड़ी अब याद किए जा रहे हैं। वर्ल्ड कप 2015 की टीम में शामिल किए गए खिलाड़ी स्टुअर्ट बिन्नी की पत्नी मयंती लेंगर ने मैच के दौरान ट्वीट किया कि युवराज सिंहहरभजन सिंहवीरेंद्र सहवाग सहित टीम को टॉप पांच खिलाड़ियों को इस मैच में मिस किया। इसके अलावा मैच खत्म होते ही 2011 में टीम इंडिया की जीत के हीरो रहे युवराज सिंह भी ट्रेंड करने लगे। फैन्स ने लिखा कि उन्होंने युवी को सबसे ज्यादा मिस किया। वो होतो तो मैच का रिजल्ट कुछ और हो सकता था।
पुराने खिलाड़ियों को किस मिस
युवराज सिंह, हरभजन सिंह, वीरेंद्र सगवाग, जहीर खान और गौतम गंभीर। टीम इंडिया के पांच सीनियर खिलाड़ी जो इस बार वर्ल्ड कप टीम में शामिल नहीं किए गए। भारतीय टीम जैसे ही 95 रन से ऑस्ट्रेलिया से हारी, कहा जाने लगा कि ये खिलाड़ी टीम में होते तो ऐसा नहीं होता। खासकर फैन्स रवींद्र जडेजा को युवराज सिंह का रिप्लेसमेंट बताए जाने से सहमत नहीं दिखे।
ट्रेंड हुआ युवी
मैच खत्म होते ही ट्विटर पर Yuvi ट्रेंड होने लगा। फैन्स का कहा कि रवींद्र जडेजा कभी भी युवराज सिंह का रिप्लेसमेंट नहीं बन सकते थे। बता दें कि रवींद्र जडेजा इस पूरे टूर्नामेंट में फ्लॉप रहे। बतौर ऑलराउंट टीम मे शामिल किए गए जडेजा ने 8 मैचों में 9 विकेट लिए और कुल 57 रन बनाए।

भारत हारा तो याद आए ये 5 खिलाड़ी, काश रहते युवी तो हम खेलते फाइनल
भारत हारा तो याद आए ये 5 खिलाड़ी, काश रहते युवी तो हम खेलते फाइनलभारत हारा तो याद आए ये 5 खिलाड़ी, काश रहते युवी तो हम खेलते फाइनलभारत हारा तो याद आए ये 5 खिलाड़ी, काश रहते युवी तो हम खेलते फाइनल
भारत हारा तो याद आए ये 5 खिलाड़ी, काश रहते युवी तो हम खेलते फाइनल
भारत हारा तो याद आए ये 5 खिलाड़ी, काश रहते युवी तो हम खेलते फाइनल

बुद्धि के साथ होगा ये गुण भी तो आसानी से मिल जाएगा लक्ष्य

बुद्धिमान व्यक्ति को ‘धैर्यवान’ भी होना चाहिए। कभी-कभी बुद्धि की अधिकता हमें बेसब्र बना देती है, इसलिए बुद्धि के साथ धैर्य होना जरूरी है। बुद्धि के साथ धैर्य होगा तो किसी भी लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।

सुंदरकांड से समझ सकते हैं बुद्धि और धैर्य का महत्व

हनुमानजी के लिए सुंदरकांड में मतिधीर शब्द का उपयोग किया गया है। इसका अर्थ है कि वे बुद्धिमान भी हैं और धैर्यवान भी। जब हनुमानजी सीता की खोज में समुद्र मार्ग से लंका जा रहे थे तो रास्ते में सुरसा नाम की राक्षसी से उनका सामना हुआ। सुरसा जब मुंह फैलाकर हनुमानजी को खाने के लिए आगे बढ़ी तो हनुमानजी पहले तो बड़े हुए और फिर बहुत छोटे होकर उसके मुंह से बाहर आ गए थे। वे अपने समय, लक्ष्य और ऊर्जा को लेकर अत्यधिक सावधान रहे। वे जानते थे कि उनका लक्ष्य रामकाज है। सीताजी तक श्रीराम का संदेश पहुंचाना है, इसीलिए मैनाक पर्वत को हनुमानजी ने कह दिया था कि- रामकाजु कीन्हें बिनु मोहि कहां बिश्राम।
दूसरी बात, वे जानते थे कि सुरसा से युद्ध करने पर ऊर्जा और समय दोनों नष्ट होंगे। इसीलिए तुरंत वहां से आगे बढ़ गए। आगे उनके साथ एक और घटना घटी- समुद्र में एक राक्षसी रहती थी। वह आकाश में उड़ते हुए पक्षियों को छाया से ही पकड़ लेती थी। हनुमानजी ने उसको मार डाला और आगे बढ़ चले।
तुलसीदासजी ने हनुमानजी के लिए लिखा है- ताहि मारि मारुतसुत बीरा। बारिधि पार गयउ मतिधीरा।।
धीर, बुद्धिमान, वीर श्री हनुमानजी राक्षसी को मारकर समुद्र के पार गए। मतिधीर लिखकर तुलसीदासजी बताते हैं कि इस समय जब शिक्षा के युग में बुद्धिमान होना सरल है, तब धैर्यवान होना उतना ही कठिन होता जा रहा है। बुद्धि के साथ धैर्य का गुण जुड़ जाए तो लक्ष्य पर पहुंचना आसान हो जाएगा।

2 बातें, जिनसे मुश्किल कामों में भी मिल जाती है कामयाबी

काम कितना भी मुश्किल क्यों ना हो, यदि किसी व्यक्ति के पास‘बुद्धि और बल’ है तो कामयाबी आसानी से प्राप्त की जा सकती है। बुद्धि और बल में निपुणता का नाम ही योग्यता है। इन दोनों गुणों से ही व्यक्ति योग्य बनता है। समय अनुसार इन दोनों गुणों का उपयोग करते हुए किसी बड़े शत्रु पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है।

सुंदरकांड के प्रसंग से समझिए बुद्धि-बल का महत्व

सुंदरकांड में हनुमानजी ने मां सीता से भोजन मांगा था। तब सीताजी ने हनुमानजी से कहा अशोक वाटिका में जाकर फल खा लो। सीताजी ने कहा-
सुनु सुत करहिं बिपिन रखवारी।
परम सुभट रजनीचर भारी।। 
सीताजी ने कहा हे बेटा! सुनो, बड़े भारी योद्धा राक्षस इस वन की रखवाली करते हैं।
इस बात पर हनुमानजी का जवाब था-
तिन कर भय माता मोहि नाहीं।
जौं तुम्ह सुख मानहु मन माहीं।।
हे माता! यदि आप मन में सुख मानें, प्रसन्न होकर आज्ञा दें तो मुझे उनका भय बिल्कुल नहीं है।
जिस आत्मविश्वास से हनुमानजी सीताजी को कह रहे थे, एक क्षण के लिए सीताजी को लगा कि कहीं यह अतिशयोक्ति तो नहीं है। फिर सीताजी को हनुमानजी से किया हुआ वार्तालाप याद आया।
सीताजी जानती थीं कि अशोक वाटिका में प्रवेश करने का अर्थ है, सीधे रावण तक पहुंचना और रावण के सामने केवल बल से काम नहीं चलेगा, बल के साथ-साथ बुद्धि भी चाहिए। वे हनुमानजी के भीतर दोनों को संयुक्त रूप से देख चुकी थीं।
हनुमानजी ने बुद्धि का प्रयोग करते हुए ही लंका प्रवेश किया और सीता की खोज की थी। इस दौरान उन्होंने बल का प्रयोग करते हुए लंका की रखवाली करने वाली लंकिनी पर भी विजय प्राप्त की थी।
देखि बुद्धि बल निपुन कपि कहेउ जानकीं जाहु।
रघुपति चरन हृदय धरि तात मधुर फल खाहु।।
हनुमानजी को बुद्धि और बल में निपुण देखकर जानकीजी ने कहा - जाओ। हे तात! श्रीरघुनाथजी के चरणों को हृदय में धारण करके मीठे फल खाओ।
इस प्रसंग में हनुमानजी के माध्यम से हमें यह संदेश मिलता है कि जीवन तभी सुंदर हैजब हमारे पास बुद्धि और बल दोनों हों।

मूर्ख भी हो सकता है बुद्धिमान, लेकिन करना होगा ये काम

आज के समय में यदि कोई व्यक्ति सफल होना चाहता है तो उसका बुद्धिमान होना बहुत आवश्यक है। जो लोग सही समय पर बुद्धि का उपयोग नहीं कर पाते हैं या बुद्धिहीन हैं, वे कभी भी सफल नहीं हो सकते। बुद्धिहीन व्यक्ति को बुद्धिमान बनने के लिए निरतंर ‘अभ्यास’करते रहना चाहिए। अभ्यास यानी निरंतरता बनाए रखें। किसी भी काम को लगातार करते रहने से उस काम में दक्षता हासिल हो जाती है।

इस दोहे से समझ सकते हैं अभ्यास का महत्व

करत-करत अभ्यास के जङमति होत सुजान।
रसरी आवत जात, सिल पर करत निशान।।
इस दोहे का अर्थ यह है कि जब सामान्य रस्सी को भी बार-बार किसी पत्थर पर रगड़ने से निशान पड़ सकता है तो निरंतर अभ्यास से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान बन सकता है।
लगातार अभ्यास करने के लिए आलस्य को छोड़ना पड़ेगा और अज्ञान को दूर करने के लिए पूरी एकाग्रता से मेहनत करनी होगी।

महाकवि कालिदास ऐसे बने विद्वान

महाकवि कालिदास सूरत से सुंदर थे और राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे। कहा जाता है कि प्रारंभिक जीवन में कालिदास अनपढ़ और मूर्ख थे। कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। उनका विवाह विद्योत्तमा नाम की सुंदर और बुद्धिमान राजकुमारी से हुआ था। विद्योत्तमा ने प्रतिज्ञा की थी कि जो पुरुष उसे शास्त्रार्थ में हरा देगा, वह उसी के साथ विवाह करेगी। जब विद्योत्तमा ने शास्त्रार्थ में सभी विद्वानों को हरा दिया तो अपमान से दुखी कुछ विद्वानों ने कालिदास से उसका शास्त्रार्थ कराया।
कालिदास से शास्त्रार्थ के समय विद्योत्तमा मौन शब्दावली में गूढ़ प्रश्न पूछती थी, जिसे कालिदास अपनी बुद्धि से मौन संकेतों से ही जवाब दे देते थे। विद्योत्तमा को लगता था कि कालिदास गूढ़ प्रश्न का गूढ़ जवाब दे रहे हैं।
उदाहरण के लिए विद्योत्तमा ने प्रश्न के रूप में खुला हाथ दिखाया तो कालिदास को लगा कि यह थप्पड़ मारने की धमकी दे रही है। इसके जवाब में कालिदास ने घूंसा दिखाया। ये देखकर विद्योत्तमा को लगा कि वह कह रहा है कि पांचों इन्द्रियां भले ही अलग हों, सभी एक मन के द्वारा संचालित हैं। इस प्रकार शास्त्रार्थ से विद्योत्तमा प्रभावित हो गई और उनका विवाह कालिदास से हो गया।
विवाह के बाद विद्योत्तमा को सच्चाई का पता चला कि कालिदास अनपढ़ और मूर्ख हैं तो उसने कालिदास को धिक्कारा और यह कह कर घर से निकाल दिया कि सच्चे पंडित बने बिना घर वापिस नहीं आना।
इसके बाद कालिदास ने सच्चे मन से काली देवी की आराधना की। ज्ञान हासिल करने के लिए लगातार अभ्यास किया। माता के आशीर्वाद और लगातार अभ्यास से वे ज्ञानी हो गए। ज्ञान प्राप्ति के बाद जब वे घर लौटे तो उन्होंने दरवाजा खड़का कर कहा- कपाटम् उद्घाट्य सुंदरी (दरवाजा खोलो, सुंदरी)। विद्योत्तमा ने चकित होकर कहा- अस्ति कश्चिद् वाग्विशेषः (कोई विद्वान लगता है)। कालिदास ने विद्योत्तमा को अपना पथप्रदर्शक गुरु माना। कालिदास ने कई महान काव्यों की रचना की। अभिज्ञानशाकुंतलम् और मेघदूतम् कालिदास की सबसे प्रसिद्ध रचनाएं हैं।

PHOTOS: 1951 में लड़कियां ऐसे देती थीं फिल्मों के लिए Screen Test

PHOTOS: 1951 में लड़कियां ऐसे देती थीं फिल्मों के लिए Screen Test
फोटो : ऑडिशन लेते डायरेक्टर अब्दुल राशिद करदार (सभी फोटो साभार : लाइफ मैगजीन)
मुंबई। पहले की मायानगरी और अब का बॉलीवुड। जी हां, वो जगह जहां हर कोई अपनी किस्मत आजमाने पहुंचता है, लेकिन सफल उनमें से कुछ ही हो पाते हैं। भारत की ज्यादातर लड़कियां एक्ट्रेस बनने का सपना लेकर मुंबई आती हैं। ऐसा अब भी होता है और आज से 60 साल पहले भी होता था।
50 और 60 के दशक में भी कई लड़कियां फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने के लिए यहां स्क्रीन टेस्ट देने आती थीं लेकिन यह रास्ता इतना आसान नहीं था, जितना लोग समझते थे।
हम आपको दिखा रहे हैं 1951 की कुछ ऐसी ही अनदेखी तस्वीरों को, जो बॉलीवुड ऑडिशन की सच्चाई बयां करती हैं। ये तस्वीरें Life Magazine के फोटो जर्नलिस्ट 'जेम्स बुरके' ने तब खींची थीं, जब डायरेक्टर अब्दुल राशिद करदार अपनी फ़िल्म के लिए एक भारतीय व एक विदेशी लड़की का ऑडिशन ले रहे थे। अब्दुल राशिद करदार बतौर डायरेक्टर शाहजहां (1946), दिल्लगी (1949), दुलारी (1949) और दिल दिया दर्द लिया (1966) जैसी फ़िल्मों का निर्देशन कर चुके हैं।
अब्दुल राशिद करदार : एक नजर

- अब्दुल रशीद करदार का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को लाहौर में हुआ था। उन्हें एआर करदार के नाम से भी जाना जाता है।

- उनका उपनाम उपनाम मियांजी था। करदार को लाहौर के फ़िल्म उद्योग का जनक भी माना जाता है। बंटवारे के समय वो भारत आ गए और मुंबई में आकर बॉलीवुड से जुड़ गए।

- करदार ने अपने प्रोडक्शन में 40 से 60 के दशक के बीच कई यादगार फ़िल्में बनाईं। करदार ने अपने करियर के शुरुआत विदेशी फिल्मों के लिए कैलिग्राफी द्वारा पोस्टर बनाने से की थी।

- साल 1928 में करदार ने फिल्म डॉटर्स ऑफ टुडे और 1929 में हीर रांझा में बतौर एक्टर काम किया। करदार ने बतौर डायरेक्टर अपनी पहली फिल्म 1929 में हुस्न का डाकू बनाई थी।

- करदार ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री से कई कलाकारों को इंट्रोड्यूस करवाया। इनमें नौशाद, मजरूह सुल्तानपुरी और सुरैया जैसी हस्तियां शामिल हैं।

- इंडस्ट्री के मशहूर गायक मोहम्मद रफी को करदार ने ही अपनी फिल्म दुलारी के गीत 'सुहानी रात ढल चुकी' गाने का मौका दिया था।
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वो 10 बातें जो महिलाएं पुरुषों से छिपाती हैं या झूठ बोलती हैं

तस्वीरों का इस्तेमाल प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है
लाइफस्टाइल डेस्क: झूठ बोलना हमेशा नुकसानदायक नहीं होता और खासतौर पर जब वो किसी की खुशी के लिए बोला जाए। ऐसे में कोई शिकायत नहीं करता। कभी-कभार रिश्ते को बचाए रखने के लिए महिलाओं को पुरुषों से कुछ बातें छिपानी पड़ती हैं या झूठ बोलना पड़ता है। आज हम आपको ऐसे ही 10 झूठ बताएंगे, जो महिलाओं को पुरुषों से कहने पड़ते हैं।
1. 'मुझे तुम्हारे साथ स्पोर्ट्स देखने में कोई ऐतराज नहीं'
कई बार महिलाएं पुरुषों की खुशी के लिए ऐसा कहती हैं। दरअसल, बहुत कम महिलाओं को क्रिकेट, फुटबॉल जैसे स्पोर्ट्स पसंद आते हैं और वो भी घर में बैठकर देखने पर। लेकिन अपने साथी के चेहरे पर एक छोटी सी स्माइल के लिए वो अक्सर ऐसा झूठ बोल ही देती हैं। इससे वो पुरुषों के साथ बैठकर उनकी मानसिकता को जानने की पूरी कोशिश भी करती हैं, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है जब वो इन स्पोर्ट्स को एन्जॉय भी कर रही हों।
2. 'मैं अभी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं'
जब कोई महिला किसी पुरुष के साथ जुड़ना चाहती है, तो वो उस पुरुष और उसके साथ अपने रिश्ते को समझने के लिए उतना ही वक्त भी चाहती है। लेकिन जब महिलाएं व्यस्त होने का बहाना बनाने लग जाएं, उसे लेकर कहानियां बताने लग जाएं तो समझ जाना चाहिए कि वो झूठ बोल रही हैं और इस रिश्ते के लिए अभी पूरी तरह से तैयार नहीं।
Other lies: साथ में स्पोर्ट्स देखने के लिए झूठ, रिलेशनशिप्स में स्पेस के लिए, लड़ाई के दौरान, फ्लर्ट करने के लिए झूठ, सेक्स की बातों में झूठ, बेफ्रिक के लिए झूठ बोलना, खुद को बदलने के लिए झूठ, मौज-मस्ती की छूट देने में झुठ बोलना, ऑल इज वेल का झुठ बोलना, बिल चुकाने का दिखावा।
तस्वीरों का इस्तेमाल प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है
3. 'दूसरे से फ्लर्ट करने से कोई फर्क नहीं पड़ता'
रिलेशनशिप्स को लेकर ज्यादातर महिलाओं की सोच एक जैसी होती है। महिलाओं को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता कि उनका पार्टनर उनके सामने या उनकी पीठ पीछे किसी और महिला के साथ फ्लर्ट करे। लेकिन वो ऐसा जताती हैं और झूठ बोलती हैं कि पुरुषों के ऐसे बर्ताव से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
4. 'पागल नहीं हूं मैं'
लड़ाई-झगड़ों के दौरान औरतों की तरफ से ये लाइन ज़रूर सुनने को मिलती है। दरअसल, औरतें पुरुषों से माफी मंगवाने के लिए ही ऐसी बात कहती हैं। इसलिए कहासुनी के दौरान कुछ ना बोलें, मामला शांत होने के बाद ही अपना पक्ष रखें।
5. 'मेरा किसी से कोई संबंध नहीं'
पुरुष कभी भी महिला से उनके एक्स-अफेयर के बारे में नहीं जानना चाहते, क्योंकि महिलाएं इन सारी बातों को शेयर करने में झिझकती के साथ ही झूठ भी बोलती हैं कि उनका पहले कभी भी किसी से कोई संबंध नहीं रहा है। उनका ये झूठ बोलना वाजिब भी है, क्योंकि कुछ मामलों में रिश्तों की गोपनीयता भी ज़रूरी होती है।
6. 'कोई बात नहीं, ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है'
आमतौर पर बोला जाने वाला झूठ। जब कभी पुरुष ऑफिस या घर की किसी बात से परेशान होते हैं, तो महिलाएं ये कहकर उन्हें सहानुभूति देती हैं कि ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है, जबकि सही तो ये है कि ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता। झूठ ही सही, लेकिन महिलाओं के ऐसा कहने पर थोड़ी देर के लिए ही सही पुरुषों को शांति और सुकून तो मिलता है।
7. 'थोड़ी मौज-मस्ती की छूट है'
महिलाएं कई बार पुरुषों की जरूरतों को समझते हुए ऐसा कह देती हैं, लेकिन वाकई वो ऐसा बिल्कुल नहीं चाहतीं। महिलाएं बहुत सारी भावनाओं को चेहरे पर नहीं लातीं, लेकिन इसे समझना पुरुषों के लिए बहुत बड़ा टास्क होता है। इतना ही नहीं, पुरुषों का घर देर से आना, दोस्तों के साथ ज्यादा मौज-मस्ती करना भी महिलाओं को नहीं भाता, लेकिन बहुत कम ही होता है जब वो इन बातों को लेकर शिकायत करें।
8. ''तुम्हारे लिए कुछ भी बदल सकती हूं'
पुरुषों के अहम को ठेस ना पहुंचे, इसके लिए महिलाएं अक्सर इस झूठ का सहारा लेती हैं। वैसे तो महिलाओं को बिल्कुल भी पसंद नहीं कि उनके पार्टनर की शर्ट पर सॉस के निशान हो, वो ब्रश करने के बाद टूथब्रश कहीं भी फेंक दें, गीले तौलिये को बिस्तर पर रख दें और गंदे मोजे कहीं भी उतार दें।
वो 10 बातें जो महिलाएं पुरुषों से छिपाती हैं या झूठ बोलती हैं
9. 'मैं ठीक हूं'
महिलाओं से हमेशा ‘कैसे हो’ सवाल का जवाब ‘ठीक हूं’ में ही मिलेगा, लेकिन ज्यादातर मामलों में वो ठीक ना होते हुए भी इस सवाल के जवाब में झूठ बोल ही देती हैं और उम्मीद करती हैं कि सामने वाला पुरुष उनकी बातों, परेशानियों और उनकी भावनाओं को बिना कुछ बताए ही बड़ी आसानी से समझ जाएगा। ऐसा ज्यादातर होता नहीं है।
2. 'बिल मैं दे देती हूं'
काफी पुराना चलन है अगर महिला और पुरुष कहीं बाहर घूमने-फिरने गए हैं, तो बिल चुकाने की जिम्मेदारी पुरुषों की ही होती है और ज्यादातर होती भी यही है। लेकिन फिर भी कई बार महिलाएं फॉर्मेलिटी के लिए एक बार तो बिल चुकाने के लिए ज़रूर कहती हैं, लेकिन वो ऐसा चाहती बिल्कुल भी नहीं हैं।

Friday, March 13, 2015

कम समय के लिए मिली थी कप्तानी, सचिन को आज भी इस बात का अफसोस

खेल डेस्क. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर का क्रिकेट करियर रिकॉर्ड्स से भरा पड़ा है, फिर भी एक चीज है जिसका सचिन को आज भी मलाल है। यह है लंबे समय तक भारतीय टीम की कप्तानी न कर पाना। हाल ही में एक कार्यक्रम में सचिन तेंडुलकर ने इसका जिक्र किया। उन्होंने कहा, “कम समय के लिए कप्तानी मिलने का उन्हें आज भी मलाल है। इससे वो अभी तक उबर नहीं पाए हैं।” बता दें कि सचिन तेंडुलकर को दो बार भारत की कप्तानी करने का मौका मिला था, लेकिन दोनों ही बार उनका रिकॉर्ड कुछ खास नहीं रहा।
सचिन तेंडुलकर (फाइल)
सबसे पहले 1996 में सचिन को भारत की कप्तानी करने का मौका मिला था, लेकिन वो सफल नहीं रहे। इस बारे में सचिन कहते हैं, “मेरे लिए क्रिकेट एक टीम वर्क है। टीम में एक कैप्टन को गइड करना होता है, अहम निर्णय लेने होते है, लेकिन फील्ड पर जाकर रन बल्लेबाजों को ही बनाने पड़ते हैं, बॉलर्स को विकेट लेने ही पड़ेंगे और सही गेंदबाजी करनी होगी। पहली बार में मुझे 12-13 महीने में ही कप्तानी से हटा दिया गया था। ये मेरे लिए निराशा की बात थी। आप कप्तान नियुक्त करते हैं और सोचते हैं कि ये टीम को आगे ले जाएगा, लेकिन यदि वक्त ही ना मिले तो रिजल्ट जीरो हो जाता है। यदि आपने बतौर कप्तान 4 मैच खेले और दो जीते तो सफलता का प्रतिशत आधा ही रहेगा।”
इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया टूर से की तुलना
सचिन ने अपनी कप्तानी के दौरान और साल 2011 के भारतीय टीम के इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के टूर की तुलना की। उन्होंने कहा कि 2011 में इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया के दौरों पर भारतीय टीम की हार का कारण बोर्ड पर रन नहीं होना था। हमारे पास रन थे नहीं और हम विकेट भी नहीं ले पाए। ऐसा ही कुछ मेरी कप्तानी के दौरान भी हुआ था। तब हम चार टेस्ट मैच इंग्लैंड में और चार टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलिया में हारे थे। उन्होंने कहा, “मेरी कप्तानी के दौरान कई चुनौतियां थी। हम वेस्ट इंडीज दौरे पर गए, जो तब हमसे बेहतर टीम थी। इसके बाद हम साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए। वहां भी कई चुनौतियां थी।”
* सचिन को दो बार भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया। पहली बार 1996 में, लेकिन वो सफल नहीं रहे। तब मो. अजहरुद्दीन ने ये तक कह दिया था कि “नहीं जीतेगा... छोटे के नसीब में जीत नहीं है।” 1997 में सचिन से कप्तानी वापिस ले ली गई थी।
* 1999 में एक बार फिर सचिन कैप्टन बने। 1999 में वर्ल्ड चैम्पियन बनी ऑस्ट्रेलिया से उनके घर में ही सचिन की टीम को टेस्ट सीरीज खेलनी थी। इसमें भारत की 0-3 से हार हुई। हालांकि, सचिन को मैन ऑफ द सीरीज और एक मैच में मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड मिला था। इसके बाद घरेलू मैदान पर टीम इंडिया 0-2 से साउथ अफ्रीका से भी हारी। इसके बाद सचिन ने खुद ही इस्तीफा दे दिया था। तब 2000 में सौरव गांगुली नए कप्तान नियुक्त किए गए थे।
मैच जीते हारे ड्रॉ टाई नो-रिजल्ट जीत का %
टेस्ट 25 4 9 12 0 16%
वनडे 73 23 43 2 6 31.50%
सचिन मानते हैं कि लगातार दूसरे साल भी टीम इंडिया वर्ल्ड कप जीत सकती है। उन्होंने कहा, “जिस तरह से भारतीय टीम खेल रही है, उससे वो इस बार भी वर्ल्ड कप जीत सकती है। मैं टीम से बहुत प्रभावित हूं। हम अच्छी बैटिंग और अच्छी बॉलिंग के साथ ही शानदार फील्डिंग भी कर रहे हैं। एक भी ऐसा क्षेत्र नहीं हैं जहां हम लगातार अच्छा प्रदर्शन ना कर रहे हों।”
सचिन ने कहा कि हमने पाकिस्तान और साउथ अफ्रीका के खिलाफ बेहतरीन खेल दिखाया। इसका पूरा क्रेडिट टीम को जाता है। ऐसा नहीं है कि साउथ अफ्रीका ने खराब खेला, बल्कि हमने उन्हें अच्छा खेलने ही नहीं दिया। मुझे लगता है कि जब मोहित शर्मा ने एबी डिविलियर्स को रन आउट किया, तभी हम मैच में वापसी कर चुके थे। ये मैच का टर्निंग प्वाइंट था।
वनडे के बदले नियमों से सचिन खुश नहीं है। उनके अनुसार ये नियम बल्लेबाजों के फेवर में हैं। गौरतलब है कि अब इनिंग के दौरान पांच फील्डर्स सर्किल के अंदर ही रहेंगे। सचिन ने कहा, “क्रिकेट बदल रहा है, लेकिन हाल ही में किया गया बदलाव बॉलर्स के लिए काफी कठोर हैं। 5 फील्डर्स के अंदर रहने से पहले जो टीम 260 या 270 बनाती थी अब वही टीमें 310 से ज्यादा का स्कोर बना रही हैं। 290 और 300+ का स्कोर पर चेज किया जा रहा है। कई साल पहले ये मुमकिन नहीं था। इसलिए मैं तो इस नियम से संतुष्ट नहीं हूं। क्योंकि एक तरफ हम अच्छी क्रिकेट के लिए बॉलर्स को आगे लाने की बात करते हैं और दूसरी तरफ ऐसे नियमों से उनपर ही दबाव डाल रहे हैं। यदि आप क्वालिटी बॉलर नहीं हैं तो ऐसे नियमों के साथ लंबा क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे।”

माइक्रोमैक्स ने भारत में लॉन्च किए बड़ी स्क्रीन वाले दो 4K टीवी

गैजेट डेस्क। भारतीय कंपनी माइक्रोमैक्स ने अपना नया 4K TV भारतीय बाजार में उतार दिया है। माइक्रोमैक्स के 4K टीवी 42 इंच और 49 इंच की स्क्रीन साइज ऑप्शन में आएंगे। इन्हें फ्लिपकार्ट के जरिए एक्सक्लूसिवली बेचा जाएगा। 42 इंच स्क्रीन साइज वाले टीवी की कीमत 39990 रुपए है और 49 इंच के टीवी की कीमत 49990 रुपए रखी गई है।
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क्या खास है दोनों में-
TECH GUIDE: प्रचलित टेक टर्म्स और उनके मतलब

ये दोनों ही स्मार्ट टीवी डुअल कोर प्रोसेसर के साथ आते हैं। इनकी मेमोरी बढ़ाने के लिए स्टोरेज पोर्ट भी है। इसके अलावा, कनेक्टिविटी के लिए यूएसबी 3.0, यूएसबी 2.0 और HDMI पोर्ट दिए गए हैं। माइक्रोमैक्स के ये दोनों ही टीवी एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित हैं।
क्या होता है 4K-

4K डिस्प्ले क्वालिटी का मतलब है HD से 8 गुना बेहतर डिस्प्ले क्वालिटी वाला डिवाइस। 4K उस डिस्प्ले रेजोल्यूशन को कहा जाता है जिसमें 4000 पिक्सल होते हैं। इसे आम तौर पर अल्ट्रा हाई डेफिनेशन टेलीविजन भी कहा जाता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो ये अभी कमर्शियल टीवी में सबसे बेस्ट क्वालिटी है।
42 इंच मॉडल- 
माइक्रोमैक्स के 42 इंच मॉडल में 3840 x 2160 पिक्सल का रेजोल्यूशन मिलता है। ये टीवी 178 डिग्री व्यूइंग एंगल दिया गया है। ये टीवी एंड्रॉइड के तीन साल पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम वर्जन (एंड्रॉइड 4.2 जेलीबीन ऑपरेटिंग सिस्टम) पर काम करता है। इस टीवी में नॉइस रिडक्शन फीचर और SRS साउंड क्वालिटी सिस्टम है जो यूजर्स को बहुत अच्छी साउंड क्वालिटी देता है
* 49 इंच मॉडल- 
माइक्रोमैक्स टीवी का 49 इंच वाला मॉडल थोड़ा ज्यादा एडवांस फीचर्स के साथ आता है। इसमें 3840 x 2160 पिक्सल का रेजोल्यूशन है और व्यूइंग एंगल भी एक जैसा 178 डिग्री का है। हालांकि, ये एंड्रॉइड के एक साल पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम वर्जन 4.4 किटकैट पर काम करता है। एडवांस सॉफ्टवेयर देने के साथ ये टीवी 2HDMI पोर्ट देता है। इसके अलावा 0.78 cm का स्लिम मेटल बेजल (स्क्रीन की साइड बॉडी- bezel) है।

GOOGLE पर पढ़े symptom, तो पूरे परिवार को मान बैठा था AIDS रोगी

भोपाल। AIDS के शक में पत्नी और दो बच्चों को कार में जिंदा फूंकने वाले प्रवीण ने GOOGLE पर अपनी बीमारी के लक्षण मैच किए थे। उसने खुद भी तीन बार सुसाइड की कोशिश की थी। हालांकि जांच में उसे एड्स नहीं निकला है
मुलताई के पास आइआइटी पासआउट जिस इंजीनियर प्रवीण मनवर ने एड्स के शक के आधार पर अपनी पत्नी और दो बच्चों को जलाकर मार दिया, उसे एड्स होने की पुष्टि ही नहीं हो पा रही। प्रवीण छतरपुर जिले के बरेठी सुपर थर्मल पॉवर में सिविल इंजीनियर है। छतरपुर की जिस पैथालॉजी लैब में एड्स की जांच का दावा कर रहा है, उस लैब मालिक का कहना है कि उसके यहां एड्स की जांच ही नहीं होती। वहीं मुलताई पुलिस ने भी उसका एलिसा किट टेस्ट कराया, जिसमें उसके एड्स होने की पुष्टि नहीं हो पा रही। ऐसे में पुलिस इस बात पर भी ध्यान दे रही है कि कहीं प्रेमप्रसंग के चक्कर में तो यह घटना नहीं हुई।प्रवीण मनवर और घटनास्थल।
पैथालॉजी में तो एड्स की जांच ही नहीं होती
प्रवीण ने जिस एड्स के संदेह के आधार पर 3 मार्च को अपनी पत्नी और दो बच्चियों को कार में जला दिया था, उसे एड्स ही नहीं पाया गया। वहीं प्रवीण अभी भी इस दावे पर कायम है कि छतरपुर की जिस पैथॉलाजी में उसने एचआईवी की जांच कराई थी, उसमें वह पॉजीटिव था। DAINIKBHASKAR.COM ने जब पैथालॉजी के मालिक महेश अवस्थी से बात की तो वे बोले कि हमारे यहां तो एचआईवी की जांच ही नहीं होती। हमारी दुकान मेन रोड पर है, हो सकता है कि उसने बोर्ड देखकर नाम रट लिया हो। हमें भी अखबार में देखकर ही पता लगा कि किसी इंजीनियर ने अपनी पत्नी और दो बच्चों का जला दिया है और वह एड्स का रोगी बता रहा है जिसने उसकी पैथालॉजी पर जांच करवाई है।

गूगल में सर्च किए लक्षण, मान लिया हो गया एड्स
बैतूल पुलिस के अनुसार, प्रवीण ने बताया था कि उसने 6 महीने पहले छतरपुर की अवस्थी पैथॉलाजी में एचआईवी का टेस्ट कराया था जिसमें वह पॉजीटिव निकला। उसके बाद उसने गूगल में जानकारी ली। उसमें एड्स के लक्षण अल्सर और कम वजन होना था। प्रवीण को अल्सर भी था और उसका वजन भी कम हो रहा था। एक महीने पहले उसकी पत्नी के भी यही सिस्टम्स नजर आने लगे। तब उन्होंने सोचा कि पूरी फैमिली को एड्स हो गया है। इसके बाद सबने एक साथ मरने की सोची।सुसाइड करने से पहले वह अमरावती अपने घर आए और लौटते में सदाप्रसन्न घाटी में गाड़ी में आग लगा ली। इसमें वह खुद तो बच गया लेकिन पत्नी और दोनों बच्चे जलकर मर गए।

तीन बार हुआ 'मौत के इम्तिहान' में 'फेल'
प्रवीण ने पूरी गाड़ी में पेट्रोल डाला और आग लगा दी। जब उसने अंदर घुसने की कोशिश की तो आग तेज हो गई। वह आग में अंदर जा नहीं पाया। उसके बाद उसने वहीं पेड़ पर फांसी से लटकना चाहा तो शर्ट फट गई। उसके बाद वह ट्रेन में बैठकर नागपुर गया और ट्रेन से कूदना चाहा तो वह भी नहीं कर सका। मुंबई के एक होटल में पंखे से लटककर फांसी लगाने की कोशिश की तो पंखा ही टूट गया। तब थक हार कर वह महाराष्ट्र के परतवाड़ा में पुलिस के सामने सरेंडर करने की कोशिश की तो परतवाड़ा पुलिस ने उसे मुलताई जाने को कह दिया। उसके बाद वह अमरावती अपने दोस्तों से मिला और ये स्टोरी सुनाई। तब उसके दोस्त और रिश्तेदारों ने उसे पुलिस के सामने सरेंडर करने को कहा। तब प्रवीण ने 9 मार्च को मुलताई पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया।

रेडलाइट एरिया में जाता था, इसलिए शक हो गया पक्का
प्रवीण ने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग पास की है। दिल्ली में रहने के दौरान ही उसे रेडलाइट एरिए में जाने का चस्का लग गया। उसके बाद उसकी शिल्पा से शादी हो गई और उससे दो बच्चे हुए। छतरपुर में काम करने के दौरान भी वह दिल्ली जाता रहता था। यही कारण है कि जब उसे अल्सर हुआ और वजन कम होने लगा तो उसे पक्का यकीन हो गया कि उसे एड्स है। एक महीने पहले पत्नी में भी इसी तरह के सिस्टम्स दिखाई देने लगे तो उसे लगा कि पूरे परिवार को ही एड्स हो गया है और अब जीने का कोई मतलब नहीं है।

एड्स के टेस्ट में कन्फ्यूजन
प्रवीण का यहां एचआईवी टेस्ट कराया गया है जिसमें कन्फ्यूजन आ रहा है। शुक्रवार को हम उसे कोर्ट में पेश कर छतरपुर ले जाएंगे। तब सही पता चलेगा कि वह सच बोल रहा है या झूठ। इस मामले में यह भी पता लगाया जा रहा है कि कही प्रेमप्रसंग का मामला तो नहीं है। 

PHOTOS: गोल्फ क्लब में 13 फुट लंबा मगरमच्छ, एफबी पर हुआ वायरल

PHOTOS: गोल्फ क्लब में 13 फुट लंबा मगरमच्छ, एफबी पर हुआ वायरल
(अमेरिका में गोल्फ क्लब में घूमने वाला मगरमच्छ)
अमेरिकी शहर एंगेलवुड के म्याका पाइन्स गोल्फ क्लब में पिछले दिनों गोल्फ मैच के दौरान अचानक यह 12-13 फुट लंबा मगरमच्छ गया और उसकी यह तस्वीर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर वायरल हो गई। मंगलवार को फोटो पोस्ट किए जाने के बाद अब तक करीब तीन लाख लोग इसे देख चुके हैं।
क्लब की मैनेजर मिकी जैदा ने बताया कि कुछ लोगों का मानना है कि हमने तस्वीर फोटोशॉप की है लेकिन ऐसा है नहीं। उन्होंने कहा कि यहां अक्सर ऐसे मगरमच्छ घूमते हैं लेकिन किसी ने भी गोल्फर्स पर हमला नहीं किया। जिस तरह यह पॉपुलर हुआ है, हम इसका नाम वायरल रखने की सोच रहे हैं।PHOTOS: गोल्फ क्लब में 13 फुट लंबा मगरमच्छ, एफबी पर हुआ वायरल
PHOTOS: गोल्फ क्लब में 13 फुट लंबा मगरमच्छ, एफबी पर हुआ वायरलPHOTOS: गोल्फ क्लब में 13 फुट लंबा मगरमच्छ, एफबी पर हुआ वायरलPHOTOS: गोल्फ क्लब में 13 फुट लंबा मगरमच्छ, एफबी पर हुआ वायरल

Jajbats

Jajbat to hum bhi rakhte hain,Matti ke hain to kya hua , hain to insan hi.

Ye ishq Nhi aasan

Tuesday, March 10, 2015

ये है एक रुपए का नया 'गुलाबी' नोट, अप्रैल से होगा आपकी जेब में

ये है एक रुपए का नया 'गुलाबी' नोट, अप्रैल से होगा आपकी जेब में
फोटोः सरकार की ओर से छापा गया नया एक रुपए का नोट
नई दिल्ली. 20 साल बाद एक बार फिर एक रुपए का नया नोट आपकी जेब में नजर आएगा। सरकार एक रुपए के इस गुलाबी नोट को अप्रैल से भारतीय बाजारों के लिए जारी करने जा रही है। केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में ही एक रुपए के नोट की दोबारा छपाई शुरू करने का एलान किया था। 1 जनवरी 2015 से इसकी छपाई शुरू हो चुकी है। वित्त मंत्रालय द्वारा कॉयनेज एक्ट 2011 में बदलाव के बाद फिर से एक रुपए के नोट की छपाई शुरू हुई है।

पहले से बड़ा है आकार

एक रुपए के नोट का आकार पहले के मुकाबले थोड़ा बड़ा है। इसका आकार 9.7 गुणा 6.3 सेंटीमीटर(100 प्रतिशत (काटन) रेग कंटेंट) का है। इसके कागज का भार 90 जीएसएम (ग्राम प्रति वर्ग) है। इसके शीर्ष पर भारत सरकार लिखा नजर आएगा। नोट पर मल्टीटोनल वाटर मार्क में बिना सत्यमेव जयते शब्दों के अशोक की लाट अंकित है। मध्य भाग में सामान्य तौर पर न दिखने वाली संख्या '1' प्रकाशित होगी। नोट के दाईं तरफ 'भारत' शब्द अंकित होगा।

गुलाबी और हरे रंग का होगा मिश्रण

इस बार छापे गए एक रुपए के करेंसी नोट का अगला हिस्सा गुलाबी और हरे रंग के मिश्रण का है। हिंदी व अंग्रेजी भाषा में वित्त सचिव के हस्ताक्षरों के साथ 'भारत सरकार' शब्द और रुपए के प्रतीक चिन्ह के साथ नए एक रुपए के सिक्के की छवि भी नजर आती है। नोट के निचले हिस्से में दाईं ओर नोट का नंबर है।

श्रीनाथजी को भेंट की गई पहली गड्डी

वित्त सचिव राजीव महर्षि ने होली पर श्रीनाथजी की शरण में एक रुपए के नोट की गड्डी भेंट की है। ये नोट महर्षि के हस्ताक्षर से छपे हैं। नोट के दूसरे हिस्से में पेन से भी लिखा है श्रीनाथजी को सप्रेम भेंट।
कहां छपा है एक रुपए का नोट
पहले की तरह इस बार भी एक रुपए के नोट की छपाई रिजर्व बैंक के मिंट के बजाए भारत सरकार के मुद्रण कारखाने में की गई है। नया नोट मौजूदा वित्त सचिव राजीव महर्षि के हस्ताक्षर से जारी किया गया है।
ये है एक रुपए का नया 'गुलाबी' नोट, अप्रैल से होगा आपकी जेब में
फोटोः ऐसा था पुराना एक रुपए का नोट
क्यों बंद हुई थी छपाई
सिक्के आने से बंद हुई थी एक रुपए की छपाई
एक, दो व पांच रुपए के सिक्कों के चलन में आने के बाद सरकार ने 1994 में एक रुपए के नोट की छपाई बंद कर दी थी। वहीं, दो रुपए के नोट की छपाई फरवरी 1995 में और पांच रुपए के नोट की छपाई नवंबर 1995 में बंद की गई थी। हालांकि, पांच रुपए के नोट को सरकार ने बाद में दोबारा छापना शुरू कर दिया था। अब सरकार ने एक रुपए के नोट की छपाई भी शुरू की है।
फोटोः पुराना एक रुपए का नोट
छपाई में लगती है अधिक मूल्य राशि
जानकारों के अनुसार कम मूल्‍य की राशि के नोट को छापने में सरकार को अधिक खर्च करना पड़ता है इसलिए छोटी राशि के नोटों का छपना बंद किया गया था। लेकिन, करेंसी नोट होने के कारण इसकी छपाई दोबारा शुरू की गई है।
कितने में छपता है एक रुपए नोट
1 रुपए का नोट (प्रति हजार नोट)-
भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड- 350 रुपए

सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड- 400 रुपए
1 रुपए का नोट (प्रति नोट)-
भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड- 0.35 पैसे

सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड- 0.40 पैसे
क्यों शुरू की गई छपाई
जाली करेंसी का खतरा कम
अधिकारी के अनुसार एक रुपए की छपाई शुरू करने के पीछे मुख्य कारण है कि इसके जाली नोट जल्दी से नहीं बनाए जाते। दरअसल, एक रुपए की वैल्यू भी आज की कीमतों को देखते हुए काफी कम है। जिस कारण उसका जाली नोट बनाना कहीं से भी जाली करेंसी बनाने के गोरखधंधे में लगे लोगो के लिए फायदेमंद नहीं होगा। इसलिए बाजार में एक रुपए के नकली नोट होने का खतरा कम है।
शादी, त्योहारों में मांग के चलते बना दबाव
बैंकर जी.एस.बिंद्रा के अनुसार शादी, त्योहारों में एक रुपए के नोट की काफी मांग रहती है। जिसके लिए लोग बैंक से भी इसकी मांग करते हैं। बैंकों ने लगातार आ रही मांग का हवाला भी आरबीआई को दिया है। हालांकि, नोट के जल्दी खराब होने के चलते इसे बंद किया गया था। लेकिन, जिस तरह से बंद होने के 20 साल बाद भी 1 रुपए के नोट की मांग बराबर बनी हुई है, उसे देखते हुए लगता है सरकार ने यह फैसला लिया है।

एप्पल Watch से जुड़ी हर वो जरूरी जानकारी जो आप जानना चाहते हैं

गैजेट डेस्क। एप्पल कंपनी ने अपना नया डिवाइस एप्पल वॉच लॉन्च कर दिया है। सैन फ्रांसिस्को में हुए लॉन्चिंग इवेंट में इस वॉच का डेमो दिया गया। साथ ही, इसकी खूबियां बताई गईं। हालांकि, एप्पल वॉच को लेकर यूजर्स के मन में कई सवाल हो सकते हैं।  आपको बताने जा रहा है एप्पल वॉच से जुड़े कुछ सवालों के जवाब।
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क्या है एप्पल वॉच:
एप्पल वॉच घड़ी की तरह दिखने वाला एप्पल कंपनी का गैजेट है। इस डिवाइस के जरिए यूजर्स की हेल्थ मॉनिटरिंग हो सकती है। इसमें फोन के कुछ फीचर्स जरूर हैं और इसके जरिए हेल्थ को मॉनिटर करने में मदद मिलती है। बॉडी से जुड़े होने पर ये एप्पल वॉच पल्स कैसी चल रही है, हार्ट रेट क्या है, बॉडी का टेम्प्रेचर कैसा है, यूजर कितने कदम चला है जैसी जानकारी रखती है। एप्पल कंपनी की ये पहली स्मार्टवॉच है। आपको बताते चलें कि स्मार्टवॉच एक ऐसा डिवाइस होती है जो घड़ी की तरह दिखती है और यूजर्स की स्किन से कनेक्ट रहती है। स्मार्टवॉच के जरिए यूजर्स की हेल्थ मॉनिटर की जा सकती है, फोन के नोटिफिकेशन देखे जा सकते हैं, गाने भी सुने जा सकते हैं। ये आम डिजिटल वॉच से ज्यादा हाई-टेक डिवाइस होती है।

एप्पल वॉच में फोन के फीचर्स-

- इसके जरिए मैसेज भेजे और रिसीव किए जा सकेंगे।
- इसके जरिए सोशल मीडिया के नोटिफिकेशन देखे जा सकेंगे। 
- वॉइस कमांड सपोर्ट करती है जिसमें यूजर्स बोलकर ट्वीट भी कर सकते हैं। 
- कॉल रिसीव करने की भी सुविधा है।

एप्पल वॉच कैसे करेगी काम-

ज्यादातर स्मार्टवॉच की तरह एप्पल वॉच भी स्मार्टफोन से कनेक्ट होने पर काम करती है। इसके लिए यूजर्स के पास आईफोन 5 या उससे ऊपर के आईफोन मॉडल होने चाहिए। इसके ज्यादातर फीचर्स का इस्तेमाल करने के लिए फोन से कनेक्ट करने की और इसे पहने रहने की जरूरत होगी।

एप्पल की वॉच में एक टचस्क्रीन दी गई है और एक स्क्रॉल व्हील है। स्क्रीन पर नीचे की ओर सेंसर लगे हैं जो यूजर की बॉडी से जुड़े होने पर जानकारी देते हैं। इसमें सभी हेल्थ डिटेल्स मॉनिटर होती हैं। इसके अलावा, इस वॉच में बाकी फीचर्स को एक्सेस करने के लिए एक साइड बटन दिया गया है। साइड बटन को दबाने पर मेनु खुलता है जिसमें कई ऐप्स होते हैं। इस वॉच को इसमें दिए गए माइक्रोफोन की मदद से वॉइस कमांड भी दी जा सकती हैं।

कनेक्टिविटी के मामले में ये वॉच वाई-फाई और फोन के GPS कनेक्शन का इस्तेमाल करती है।

* फोन से कनेक्ट ना होने पर क्या करेगी एप्पल वॉच-

अगर एप्पल वॉच को फोन से कनेक्ट नहीं किया गया है तो बहुत कम फीचर्स का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इन फीचर्स में ट्रैक एक्टिविटी और फिटनेस रिपोर्ट होगी। इसका मतलब हेल्थ से जुड़ी जानकारी बिन फोन को कनेक्ट किए भी मिल सकती है। हालांकि, कुछ फिटनेस ट्रैकिंग फीचर्स जिनमें GPS का इस्तेमाल होता है उनके लिए आईफोन से कनेक्ट करने की जरूरत होगी। इसके अलावा, बिना फोन से कनेक्ट किए पेमेंट की जा सकेंगी (एप्पल पे के जरिए) और उन गानों को सुना जा सकेगा जिन्हें एप्पल वॉच में डाउनलोड किया जा चुका है।
एप्पल iWatch से जुड़ी हर वो जरूरी जानकारी जो आप जानना चाहते हैं
- एप्पल की आईवॉच म्यूजिक प्ले कर सकती है। 
- ये फिटनेस ट्रैकर है।
- ये एक कम्युनिकेशन डिवाइस है जो मैसेज भेज सकती है और रिसीव कर सकती है। 
- एप्पल की आईवॉच मोबाइल पेमेंट सपोर्ट कर सकती है (सिर्फ अमेरिका में)।
- इस आईवॉच के लिए कंपनी ने कई ऐप्स बनाए हैं जिन्हें इस्तेमाल किया जा सकता है। 
- इसे आईफोन के जरिए कनेक्ट किया जा सकता है। 
- एप्पल की वॉच वॉइस नोटिफिकेशन भी सपोर्ट करती है। सिर्फ बोलने पर ही आईवॉच से ट्वीट किया जा सकता है। 
- सोशल मीडिया नोटिफिकेशन देखे जा सकते हैं।

* मोबाइल से करना होगा कनेक्ट-

एप्पल की आईवॉच कई सारे काम सिर्फ तब कर सकेगी जब उसे आईफोन से कनेक्ट किया जाएगा। स्मार्टफोनस के सभी नोटिफिकेशन इसमें देखे जा सकेंगे। इसके अलावा, ऐप्स का इस्तेमाल भी हो सकेगा।

* स्मार्ट होम कनेक्टिविटी-

एप्पल की आईवॉच के जरिए स्मार्ट होम अप्लायंस भी कनेक्ट किए जा सकेंगे। कंपनी के अनुसार ये डिवाइस स्मार्टलॉक के लिए चाबी का काम करेगा। इसके अलावा, बाकी होम ऑटोमेशन डिवाइस भी इस आईवॉच के जरिए कंट्रोल किए जा सकेंगे। ये आईफोन के वायरलेस कनेक्शन का इस्तेमाल करेगी। हालांकि, ऑटोमेटेड होम डिवाइसेस भारत में अभी लोकप्रिय नहीं है।


एप्पल की आईवॉच में कई ऐसे फीचर्स हैं जिन्हें अभी तक किसी भी स्मार्टवॉच में नहीं पेश किया गया है। एप्पल की आईवॉच पहली ऐसी स्मार्टवॉच है जो मोबाइल पेमेंट सपोर्ट करती है। इस डिवाइस में एप्पल का मोबाइल पेमेंट सिस्टम सपोर्ट होगा।

एप्पल की स्मार्टवॉच सेंसिटिव टचस्क्रीन के साथ आएगी। इसका मतलब अलग तरह से स्क्रीन प्रेस करने पर ये अलग काम करेगी। उदाहरण के तौर पर आईवॉच की स्क्रीन को जोर से प्रोस करने पर अलग तरह के फीचर्स एक्टिवेट होंगे और धीरे प्रेस करने पर अलग।

एप्पल वॉच अपने अलग ऐप प्लेटफॉर्म पर काम करती है। इसके कारण आईवॉच में बहुत से ऐप्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। अभी तक आने वाली स्मार्टवॉच में ऐप्स पर इतना ध्यान नहीं दिया गया था।

* दिखने में बेहतर-

मोटो 360 वॉच की डिजाइन, एप्पल स्मार्ट वॉच डिजाइन से काफी मिलती-जुलती है। वॉच की बाकी सारी खूबियां एप्पल के डिजाइनिंग विभाग द्वारा ही डिजाइन की गई हैं। Jonathan Ive ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने एप्पल के आईफोन्स को बेहतरीन शेप दिया है। Ive ने ही एप्पल के पहले आईफोन को डिजाइन किया था, जो काफी पॉपुलर हुआ। उन्होंने ही एप्पल की पहली स्मार्ट वॉच को डिजाइन किया है।

* खास हैं वॉच स्ट्रैप्स

एप्पल स्मार्ट वॉच के स्ट्रैप्स (straps) बहुत ही खास है और कंपनी का मानना है कि यह अन्य स्मार्ट वॉच को पीछे छोड़ देगी। एप्पल ने वॉच में जिस तरह के स्ट्रैप्स लगाएं हैं, उन्हें हर तरफ से मोड़ा जा सकता है और इन्हें आसानी से सेट भी किया जा सकता है। वॉच में मेटल और लेदर के स्ट्रैप्स भी बने हैं।

एप्पल वॉच में एस 1 नाम की एक नई चिप का इस्तेमाल किया गया है। ये वॉच आपकी पल्स रेट भी नाप सकती है। इसके अंदर खासतौर पर एक वाइब्रेटर और एक स्पीकर भी लगाया गया है। वॉइस कमांड के जरिए इससे ट्विटर पर ट्वीट किया जा सकता है। इसमें एप्पल मैप की भी सुविधा दी गई है। इसके अलावा वॉच से आप मैसेज रिसीव कर सकते हैं और भेज भी सकते हैं। वॉच दो तरह के टच के साथ काम करती है, टच और प्रेस टच। प्रेस टच करने पर माउस के राइट क्लिक की तरह ऑप्शन ओपन होंगे और टच की मदद से बाकी काम किए जा सकेंगे।

* एक्टिविटी के बारे बताएगा-

वॉच के अंदर ऐसे कई सेंसर हैं, जो एक्टिविटी के बारे में बताएंगे। यह जानकारी रंग-बिरंगी रिंग्स के जरिए दिखाई देंगी। सेंसर के माध्यम से वॉच पहनने वालों को सारी जानकारी मिल जाएगी। इसके ऐप से हेल्थ और फिटनेस पर भी नजर रखी जा सकती है।

* फोटो जूम की सुविधा-

इसमें फोटो जूम इन और आउट का भी ऑप्शन है। एप्पल वॉच में आप अपनी उंगली की मदद से कुछ भी ड्रा कर सकते हैं और अपने साथी को भेज भी सकते हैं।