गैजेट डेस्क: एप्पल, सैमसंग, सोनी जैसी कंपनियों के मार्केट में एक से बढ़कर एक स्मार्टफोन आते हैं। इनका डिजाइन, फीचर्स और सॉफ्टवेयर भी यूजर्स को रास आता है, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि इन सभी कंपनियों केस्मार्टफोन एक ही जगह बनते हैं। जी हां, फॉक्सकॉन फैक्ट्री के अंदर इन कंपनियों के स्मार्टफोन का प्रोडक्शन किया जाता है। फॉक्सकॉन की फैक्ट्री चीन के शेनजेन में हैं। जहां इन कंपनियों के स्मार्टफोन के साथ डेल और एचपी कंपनियों के प्रोडक्ट भी तैयार होते हैं। ये ऐसी फैक्ट्री है जहां कर्मचारी अपना गुस्सा भी निकाल सकते हैं।
फॉक्सकॉन के कर्मचारी
शेनजेन स्थित फॉक्सकॉन के ऑफिस में 3 लाख कर्मचारी काम करते हैं। इसमें काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या कई शहरों की कुल आबादी के बराबर कही जा सकती है। फ्लोरिडा के शहर ऑरलैंडो की कुल आबादी 3 लाख से कम है। इस फैक्ट्री के कर्मचारी दिन और रात दोनों शिफ्ट में काम करते हैं। इतना ही नहीं, एक सिंगल रूम में कुल 8 वर्कर एक साथ रहते हैं।
24 घंटे से कम में तैयार होता है आईफोन
कर्मचारियों की ये टीम क्वालिटी वर्क करती है। यहां पर आईपैड, आईफोन्स, मैकबुक और एप्पल प्रोडक्ट बनाने के दौरान कर्मचारी शांत रहकर काम करते हैं। कई अलग-अलग पार्ट को जोड़कर आईफोन का सिंगल सेट को बनाने में 24 घंटे से भी कम वक्त लगता है। इसमें 6-8 घंटे सॉफ्टवेयर इन्स्टॉल करने के शामिल होते हैं। फैक्टरी के अंदर जहां स्मार्टफोन का कैमरा बनाया जाता है वो जगह पूरी तरह क्लीन होती है।
कर्मचारियों को कितना वेतन
फॉक्सकॉन में काम करने वाले कर्मचारी के वेतन की औसत शुरुआत 285 डॉलर यानी करीब 17,774 रुपए महीना और 1.78 डॉलर यानी करीब 111 रुपए हर घंटे होती है। यहां कोई 80 घंटे से ज्यादा ओवरटाइम भी करता है तो उसे सरकार पैरोल टैक्स नहीं घटाती है। यही कारण है कि यहां के कर्मचारियों ने आत्महत्या तक की है। वो जिस बिल्डिंग में रहते हैं उसके नीच रस्सी का जाल लगाया गया है, ताकि कोई कर्मचारी आत्महत्या नहीं कर सके।
पुतले पर निकालते हैं गुस्सा
कर्मचारियों के लिए इस फैक्ट्री में गुस्सा निकालने की पूरी सुविधा है। दरअसल, अगर किसी वर्कर को फ्रस्ट्रेशन है तो वो अपने गुस्से को यहां लगे पुतलों पर निकाल सकता है। जिसके ऊपर गुस्सा निकालना है उसके चेहरे का प्रिंट आउट इन पुतलों पर लगाया जाता है और फिर उसे बेसबॉल के बैट या फिर लात-घूंसों से पीटा जाता है।