Monday, October 5, 2015

इन स्मार्टफोन में मिलेगा एंड्रॉइड 6.0 अपडेट, क्या आपका फोन है शामिल

इन स्मार्टफोन में मिलेगा एंड्रॉइड 6.0 अपडेट, क्या आपका फोन है शामिल
गैजेट डेस्क: गूगल का लेटेस्ट एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम वर्जन 6.0 मार्शमैलो है। ये गूगल Huawei नेक्सेस 6P और LG नेक्सेस 5X में सबसे पहले दिया जाएगा। एंड्रॉइड का पिछला ऑपरेटिंग सिस्टम लॉलीपॉप है, जिसके वर्जन 5.0 और 5.1 आए थे। हालांकि, नेक्सेस डिवाइस के बाद कई दूसरी कंपनियों के स्मार्टफोन में भी इसका अपडेट दिया जाएगा। इसमें सैमसंग, सोनी, LG, माइक्रोमैक्स, मोटोरोला, HTC, वनप्लस समेत कई दूसरी कंपनियां शामिल हैं। हालांकि, इन कंपनियों के सभी हैंडसेट में मार्शमैलो नहीं दिया जाएगा।
आपको उन स्मार्टफोन की लिस्ट बता रहा है, जिनमें एंड्रॉइड का लेटेस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम मार्शमैलो अपडेट किया जा सकता है। आपका स्मार्टफोन इस लिस्ट में शामिल है या नहीं, आप भी देखें।

इन स्मार्टफोन में मिलेगा एंड्रॉइड 6.0 अपडेट, क्या आपका फोन है शामिल
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बंद दरवाजों के पीछे ऐसी है सऊदी अरब में महिलाओं की LIFE

ब्रिटिश डॉक्युमेंट्री फोटोग्राफर ओलिविया आर्थर द्वारा खींची गई फोटो।
इंटरनेशनल डेस्क। सऊदी अरब में महिलाओं की जिंदगी तमाम पाबंदियों के बीच कट रही है। यहां के सख्त कानून और नियम महिलाओं के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहते हैं। ब्रिटिश डॉक्युमेंट्री फोटोग्राफर ओलिविया आर्थर ने यहां घर में कैद महिलाओं की जिंदगी को अपने कैमरे में कैद किया है। वह ब्रिटिश काउंसिल की ओर से जेद्दाह में महिलाओं के लिए फोटोग्राफी के एक वर्कशॉप में गई थीं। इस दौरान अपने अनुभवों को उन्होंने जेद्दाह डायरी नाम की अपनी बुक में सामने रखा है।
शेयर किए अपने अनुभव
ओलिविया ने फोटोग्राफी वर्कशॉप में आने वाली दिक्कतों समेत अपने अनुभवों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि यह ऐसी पाबंदियों वाला देश है, जहां उन्हें सड़क पर एक महिला की फोटो खींचने की कोशिश करने पर फटकार का सामना करना पड़ा। वहीं, उनके वर्कशॉप में आने वाली लड़कियों और महिलाओं को फोटोग्राफी के लिए घर से बाहर निकलने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। उनकी एक स्टूडेंट को तो अपने कजिन की फोटो लेने पर फैमिली ने वर्कशॉप में आने से मना कर दिया। वहीं, पब्लिक में फोटो लेने पर उनकी एक स्टूडेंट को अरेस्ट तक कर लिया गया था।
फोटोज को लेकर थीं निराश
ओलिविया के मुताबिक, फोटोज लेने में सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि यहां महिलाएं अबाया (सिर से पैर तक ढंका लबादा) पहनती हैं। इसके बिना वो फोटो नहीं खिंचवा सकतीं। उन्होंने बताया, ''शुरुआत में मैं बहुत निराश थी कि इन फोटोज का इस्तेमाल मैं कहां कर सकूंगी। मुझे ये तय करने में बड़ा लंबा वक्त लगा कि इन्हें कैसे इस्तेमाल करना है। हालांकि, बाद में लगा कि ये फोटोज मेरे प्रोजेक्ट में काफी मदद करेंगी। ये सऊदी के अजीबोगरीब नियमों और दरवाजों के पीछे बंद महिलाओं की जिंदगी को सामने लाने में मददगार साबित होंगी।''
बंद दरवाजों के पीछे ऐसी है सऊदी अरब में महिलाओं की LIFE
बंद दरवाजों के पीछे ऐसी है सऊदी अरब में महिलाओं की LIFE

SALES स्टाफ नहीं पूरा कर पाया टारगेट, तो बॉस ने दी ऐसी सजा

रूई लेक के किनारे घुटनों के बल चलता सेल्स टीम का स्टाफ।
झेझोऊ। चीन में कर्मचारियों को सजा देने का अजीब मामला सामने आया है। हेनान प्रांत के झेझोऊ शहर में एक कंपनी का सेल्स स्टाफ अपना टारगेट पूरा करने में नाकाम रहा, तो बॉस ने उन्हें लेक के किनारे वुडेन पाथ (लकड़ी की टाइल्स वाले रास्ते) पर घुटने के बल चलने की सजा दे डाली।
लोकल मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, झेझोऊ शहर में रूई लेक के सामने सेल्स टीम के कर्मचारी घुटने के बल चलते देखे गए। चश्मदीदों ने बताया कि तकरीबन सभी कर्मचारियों की शर्ट और पैंट इस तरह चलने में फट गई थी। इनमें से कई लोगों के घुटनों से तो खून भी निकल रहा था। इतना ही नहीं, कंपनी की ओर से एक स्टाफ मेंबर को यह देखने के लिए भी लेक पर भेजा गया था कि कर्मचारी अपनी सजा पूरी कर रहे हैं या नहीं।
चीन में सोशल मीडिया पर ये फोटोज शेयर किए जाने के बाद यूजर्स ने जबरदस्त गुस्सा जाहिर किया है। कुछ यूजर्स ने इस सजा को स्टाफ का अपमान बताया। वहीं, कुछ यूजर्स सजा के इस तरीके पर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि, चीन में इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले साल की शुरुआत में ही फुजियान प्रांत में एक कंपनी ने अपने स्टाफ को सूट पहनकर आने पर 60 मिनट घुटनों के बल पुल पर बैठा दिया था।

Wednesday, July 15, 2015

Monday, May 25, 2015

खिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्ड

खिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्डखेल डेस्क. इंडियन प्रीमियर लीग के 8वें आईपीएल की विजेता, उपविजेता और अवॉर्ड विनर्स पर पैसों की बारिश हुई। विजेता मुंबई इंडियन्स को 15 करोड़, जबकि चेन्नई को 10 करोड़ रुपए दिया गया। इस सत्र में सर्वाधिक 562 रन बनाने वाले सनराइजर्स हैदराबाद के कप्तान डेविड वॉर्नर को 'ऑरेंज कैप' प्रदान किया गया। वॉर्नर ने इस सत्र के कुल 14 मैचों में 562 रन बनाए, जिसमें 65 चौके और 21 छक्के शामिल हैं। सर्वाधिक रन बनाने के मामले में उन्होंने मुंबई के लेंडल सिमंस और राजस्थान के अजिंक्य रहाणे को पीछे छोड़ा। रहाणे-सिमंस के बराबर 540 रन रहे। चेन्नई के ड्वेन ब्रावो ने टूर्नामेंट में सबसे अधिक 26 विकेट झटक 'पर्पल कैप' हासिल किया। ब्रावो द्वारा राजस्थान के शेन वाटसन के लपके गए शानदार कैच को 'बेस्ट कैच' घोषित किया गया।  आपको बता रहा है कि किस अवॉर्ड विनर्स को कितने रुपए ईनाम में मिले।
खिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्ड
खिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्ड
खिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्ड
खिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्डखिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्डखिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्डखिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्डखिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्डखिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्डखिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्डखिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्डखिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्डखिताबी जीत के बाद मुंबई पर हुई पैसों की बारिश, किसे मिला कौन-सा अवॉर्ड

MAGGI का झूठ: मांस और बंदूक की गोली में मिले लेड से बनती है मैगी

MAGGI का झूठ: मांस और बंदूक की गोली में मिले लेड से बनती है मैगी!

नूडल्स खाने वाला हर 10 में से 8 इंसान मैगी खरीदता है। देश का 5वां सबसे भरोसेमंद ब्रांड मैगी है। पिछले दिनों लखनऊ में इसी मैगी के 12 अलग-अलग सैम्पल लेकर केंद्र सरकार की कोलकाता स्थित लैब में टेस्ट कराया गया। रिपोर्ट चौंकाने वाली आई (देखें रिपोर्ट) और मैगी के दावे झूठे निकले। इतना ही नहीं, मैगी पर बैन लगने तक की बात भी उठने लगी।
ये है मामला:
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उत्‍तर प्रदेश एफडीए ने कहा है कि नियमित जांच के दौरान नेस्‍ले द्वारा भारत में निर्मित मैगी नूडल्‍स के दो दर्जन पैकेट में लेड की मात्रा खतरनाक स्‍तर पर पाई गई है। इन पैकेट की जांच सरकारी लैब में की गई थी। मैगी के इन पैकेट में लेड की मात्रा 17.2 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) पाई गई है, यह स्‍वीकार्य सीमा से लगभग सात गुना ज्‍यादा है। एफडीए के डिप्‍टी इंस्‍पेक्‍टर जनरल डीजी श्रीवास्‍तव के मुताबिक मैगी नूडल्‍स में लेड और मोनोसोडियम ग्‍लूटामैट (एमएसजी) की मात्रा खतरनाक स्‍तर पर पाई गई है। लेड की स्‍वीकार्य योग्‍य सीमा 0.01 पीपीएम से 2.5 पीपीएम के बीच है।
ये कह रही है मैगी बनाने वाली कंपनी
मामले को लेकर dairyphone ने मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन हेड हिमांशु मांगलिक से बात की। मांगलिक ने बताया, "कंपनी को मैगी नूडल्स के लैब टेस्ट रिपोर्ट में MSG और ज्यादा लेड होने की जानकारी मिली है। इसको लेकर कंपनी खुद आश्चर्यचकित है। साथ ही कंपनी ने ऑफिशियल स्टेटमेंट जारी कर इस मामले पर अपना पक्ष रखा है। हमनें करीब 600 से ज्यादा सैम्पल्स लेकर स्वतंत्र जांच के लिए मान्यता प्राप्त लैब में भेजा है। रिपोर्ट आते ही सरकार से और दैनिक भास्कर से शेयर की जाएगी। उसी आधार पर आगे की स्ट्रैटजी बनाई जाएगी।"
इन सबके बीच dairyphone मैगी के उन झूठे दावे की पोल खोल रहा है, जो मैगी के पैकेट में लिखा हुआ है। साथ ही मैगी मसाला में पड़े जहरनुमा 
फ्लेवर एनहांसर और मांस की मौजूदगी की सच्चाई के बारे में बताने जा रहा है।
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Tuesday, April 14, 2015

यहां चंद घंटे में बनता है आईफोन, फैक्ट्री वर्कर कुछ ऐसे निकालते हैं फ्रस्ट्रेशन

यहां चंद घंटे में बनता है आईफोन, फैक्ट्री वर्कर कुछ ऐसे निकालते हैं फ्रस्ट्रेशन

गैजेट डेस्क: एप्पल, सैमसंग, सोनी जैसी कंपनियों के मार्केट में एक से बढ़कर एक स्मार्टफोन आते हैं। इनका डिजाइन, फीचर्स और सॉफ्टवेयर भी यूजर्स को रास आता है, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि इन सभी कंपनियों केस्मार्टफोन एक ही जगह बनते हैं। जी हां, फॉक्सकॉन फैक्ट्री के अंदर इन कंपनियों के स्मार्टफोन का प्रोडक्शन किया जाता है। फॉक्सकॉन की फैक्ट्री चीन के शेनजेन में हैं। जहां इन कंपनियों के स्मार्टफोन के साथ डेल और एचपी कंपनियों के प्रोडक्ट भी तैयार होते हैं। ये ऐसी फैक्ट्री है जहां कर्मचारी अपना गुस्सा भी निकाल सकते हैं।
फॉक्सकॉन के कर्मचारी
शेनजेन स्थित फॉक्सकॉन के ऑफिस में 3 लाख कर्मचारी काम करते हैं। इसमें काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या कई शहरों की कुल आबादी के बराबर कही जा सकती है। फ्लोरिडा के शहर ऑरलैंडो की कुल आबादी 3 लाख से कम है। इस फैक्ट्री के कर्मचारी दिन और रात दोनों शिफ्ट में काम करते हैं। इतना ही नहीं, एक सिंगल रूम में कुल 8 वर्कर एक साथ रहते हैं।
24 घंटे से कम में तैयार होता है आईफोन
कर्मचारियों की ये टीम क्वालिटी वर्क करती है। यहां पर आईपैड, आईफोन्स, मैकबुक और एप्पल प्रोडक्ट बनाने के दौरान कर्मचारी शांत रहकर काम करते हैं। कई अलग-अलग पार्ट को जोड़कर आईफोन का सिंगल सेट को बनाने में 24 घंटे से भी कम वक्त लगता है। इसमें 6-8 घंटे सॉफ्टवेयर इन्स्टॉल करने के शामिल होते हैं। फैक्टरी के अंदर जहां स्मार्टफोन का कैमरा बनाया जाता है वो जगह पूरी तरह क्लीन होती है।
कर्मचारियों को कितना वेतन
फॉक्सकॉन में काम करने वाले कर्मचारी के वेतन की औसत शुरुआत 285 डॉलर यानी करीब 17,774 रुपए महीना और 1.78 डॉलर यानी करीब 111 रुपए हर घंटे होती है। यहां कोई 80 घंटे से ज्यादा ओवरटाइम भी करता है तो उसे सरकार पैरोल टैक्स नहीं घटाती है। यही कारण है कि यहां के कर्मचारियों ने आत्महत्या तक की है। वो जिस बिल्डिंग में रहते हैं उसके नीच रस्सी का जाल लगाया गया है, ताकि कोई कर्मचारी आत्महत्या नहीं कर सके।
पुतले पर निकालते हैं गुस्सा
कर्मचारियों के लिए इस फैक्ट्री में गुस्सा निकालने की पूरी सुविधा है। दरअसल, अगर किसी वर्कर को फ्रस्ट्रेशन है तो वो अपने गुस्से को यहां लगे पुतलों पर निकाल सकता है। जिसके ऊपर गुस्सा निकालना है उसके चेहरे का प्रिंट आउट इन पुतलों पर लगाया जाता है और फिर उसे बेसबॉल के बैट या फिर लात-घूंसों से पीटा जाता है।
यहां चंद घंटे में बनता है आईफोन, फैक्ट्री वर्कर कुछ ऐसे निकालते हैं फ्रस्ट्रेशन
यहां चंद घंटे में बनता है आईफोन, फैक्ट्री वर्कर कुछ ऐसे निकालते हैं फ्रस्ट्रेशनयहां चंद घंटे में बनता है आईफोन, फैक्ट्री वर्कर कुछ ऐसे निकालते हैं फ्रस्ट्रेशन

PHOTOS: एक स्कूल, जहां पढ़ाई के साथ कराई जाती है लड़कियों की शादी भी

गुजरात के अहमदाबाद स्थित अंध कन्या प्रकाश गृह स्कूल

एजुकेशन डेस्क। हम जिस स्कूल के बारे में आपको बताने जा रहे हैं वह शायद दुनिया में अपने तरह का अनोखा स्कूल है। यहां न सिर्फ लड़कियों को पढ़ाया जाता है बल्कि उनकी शादी का भी ख्याल रखा जाता है। गुजरात के अहमदाबाद में स्थित इस स्कूल का नाम अंध कन्या प्रकाश गृह है। कभी चार बच्चों के साथ खोला गया यह आज एक बड़े आवासीय विद्यालय के रूप में दुनिया के सामने है।
दरअसल, इस स्कूल को खोलने का मकसद बहुत ख़ास था। यह विकलांग लड़कियों को शिक्षित करने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए खोला गया था। बताते चलें कि विकलांग लड़कियों की खराब शिक्षा को लेकर 1954 में नीलकांत राय छत्रपति ने 10 हजार रुपए फंड के साथ इस स्कूल को शुरू किया था। इसकी देखरेख, अंध कन्या प्रकाश गृह नाम के एक गैर सरकारी संगठन के जिम्मे है।
आज की तारीख में यह संस्थान शारीरिक रूप से विकलांग लड़कियों को क्वालिटी एजुकेशन देने के साथ ही उन्हें जीवन के प्रति आत्मनिर्भर बनाने के लिए जाना जाता है। जब विकलांग लड़कियां शादी के योग्य हो जाती हैं तो संस्थान की ओर से उनकी योग्य शादी भी कराई जाती है। निश्चित ही यह अन्य परंपरागत स्कूलों से बिल्कुल अलग है।
विद्यालय की लड़कियां चिक्की, दिवाली के दिए और दूसरे हथकरघा प्रोडक्ट को भी बनाती हैं। जिन्हें मार्केट में काफी पसंद किया जाता है और उनके ठीक-ठाक पैसे भी मिल जाते हैं। यहां के छात्रों को धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलते सुन किसी का चौकना भले लाजिमी हो लेकिन ये विकलांग छात्र पढ़ाई और अन्य गतिविधियों के मामले में किसी भी सामान्य छात्र से बिल्कुल कम नहीं हैं।
शारीरिक रूप से अक्षम छात्र, अंध कन्या प्रकाश गृह स्कूलअंध कन्या प्रकाश गृह की शारीरिक रूप से अक्षम एक छात्रा के शादी की फोटोअंध कन्या प्रकाश गृह में कुर्सी बनाते हुए एक छात्रा.

बिस्तर पर सोने के लिए मिलेंगे 11 लाख रुपए, 70 दिन तक रहना होगा ऐसे

बिस्तर पर सोने के लिए मिलेंगे 11 लाख रुपए, 70 दिन तक रहना होगा ऐसे

(नासा की ओर से कुछ दिन पहले जारी फोटो)
वॉशिंगटन। सोचिए, 70 दिन तक आपको सिर्फ बेड रेस्ट करने को कहा जाए और उसके एवज में दिए जाएंगे 11.25 लाख रु.(18 हजार डॉलर)। सुनकर आश्चर्य हुआ ना। लेकिन यह सच है। नासा ने यह पेशकश की है। माइक्रोग्रेविटी पर लंबे समय तक रहने के प्रभावों की स्टडी करने के लिए यह रिसर्च ‘बेड रेस्ट’ डिजाइन की गई है। इसके तहत प्रतिभागियों को बिस्तर पर 70 दिनों तक लेटे रहना होगा। यानी हॉरिजोंटल स्थिति में ये पूरा समय बिताना होगा।
इस स्टडी में साइंटिस्ट यह देखेंगे कि एस्ट्रोनॉट्स के लिए शून्य गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में मांसपेशियों, दिल और हडिड्यों के कामकाज के लिहाज से कौन सी एक्सरसाइज़ बेस्ट रहेगी। प्रतिभागियों को ‘बेड रेस्ट’ फेसिलिटी में शुरुआती दो-तीन हफ्तों तक रोजमर्रा की तरह ही बिताने होंगे। कुल मिलाकर उन्हें 10 हफ्ते बिस्तर पर लेटे हुए बिताने होंगे।
इस दौरान वे सिर को नीचा कर और पैरों को उठाकर शरीर को पीछे की ओर थोड़ा घुमा सकेंगे। नहाने और खुद को साफ-सुथरा रखने के लिए एक प्लास्टिक बेडपान और हाथ से संचालित होने वाला शॉवर रहेगा। वह भी हॉरिजोंटल पोजिशन में। इस दौरान लेटे रहने से प्रतिभागियों को पृष्ठभाग और गले में होने वाले दर्द के बारे में भी पता लगाया जाएगा।
बिस्तर पर सोने के लिए मिलेंगे 11 लाख रुपए, 70 दिन सोना होगा
सारे काम लेटकर ही
रिसर्च में अगले 14 दिन रिकंडीशनिंग एक्टिविटीज़ के लिए रहेंगे। जिनमें बैठना, साइक्लिंग और चलना वह भी लेटे हुए। साथ ही नियमित टेस्ट से यह जानने की कोशिश की जाएगी कि रेगुलर एक्सरसाइज़ से शरीर को सामान्य अवस्था में आने में कितनी मदद मिल रही है। नासा इस रिसर्च के लिए स्वस्थ प्रतिभागियों की तलाश कर रहा है। हालांकि रिसर्च में भाग लेने वाले प्रतिभागी का अमेरिकी नागरिक होना या स्थायी निवासी होना अनिवार्य है। तभी परीक्षण में शामिल हो सकेंगे।
बिस्तर पर सोने के लिए मिलेंगे 11 लाख रुपए, 70 दिन सोना होगा